
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) भूमि पूजन के बाद अब मंदिर निर्माण की कवायद तेज हो गई है। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण प्राचीन पद्धति से किया जाएगा, जिसमें लोहे का प्रयोग नहीं होगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने गुरुवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी।
मंदिर में लोहे का नहीं होगा इस्तेमाल
ट्वीट के अनुसार, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का काम शुरू हो गया है, जिसे पूरा होने में 36 से 40 महीने का समय लगने का अनुमान है। श्री राम मंदिर भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जाएगा, जिसमें लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। ट्रस्ट ने बताया है कि लोहे की जगह मंदिर निर्माण में तांबे की छडें प्रयोग होंगी, जिससे मंदिर सदियों तक खड़ी रहेगी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा गया कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ हो गया है। CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कंपनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए है। मंदिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।
लोहे की जगह तांबे का होगा इस्तेमाल
ट्रस्ट की तरफ से कहा गया है कि मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लंबी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएण चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीरामभक्तों का आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें।
अगले ट्वीट में लिखा गया है कि इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मंदिर निर्माण में संपूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।