
देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादक कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) को वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में 248.61 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा (net loss) हुआ है। पिछले वर्ष में इसी अवधि में कंपनी को 624.80 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ (net profit) हुआ था। वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) में भी कंपनी को नुकसान उठाना पड़ा था। यह ऑयल इंडिया लिमिटेड के इतिहास में पहला मौका है जब उसे लगातार दो तिमाही में घाटा उठाना पड़ा है। कंपनी को यह घाटा कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आने के कारण हुआ है। आपको बता दें कि पिछली तिमाही में कच्चे तेल की कीमतें उसके उत्पादन लागत से भी कम पर पहुंच गई थीं।
ऑयल इंडिया लिमिटेड के फाइनेंस डायरेक्टर हरीश माधव ने कहा कि इससे पहले कंपनी को सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 में घाटा हुआ था। उन्होंने कहा कि कंपनी के घाटा इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1) में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई भारी गिरावट के कारण हुआ है। उन्होंने कहा कि Q1 में कच्चे लेत की कीमत औसतन 30.43 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। जबकि पिछले साल Q1 में इसकी कीमत औसतन 66.33 डॉलर प्रति बैरल थी। उन्होंने कहा कि हमारा उत्पादन लागत (Production cost) 32 से 33 डॉलर प्रति बैरल है। इस वजह से कंपनी को इस वित्त वर्ष के Q1 में घाटा हुआ है।
उत्पादन में आई गिरावट ऑयल इंडिया लिमिटेड ने इस साल अप्रैल से जून के बीच 7.5 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया। वहीं, पिछले साल इस अवधि के दौरान 8.1 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया गया था। इस तिमाही प्राकृतिक गैस (Natural Gas) के उत्पादन में भी कुछ कमी आई और यह 68 करोड़ क्यूबिक मीटर रहा। जबकि, 2019-20 के Q1 में 71 करोड़ क्यूबिक मीटर मीटर नेचुरल गैस का उत्पादन हुआ था। हरीश माधव ने कहा कि इस साल Q1 में नेचुरल गैस की कीमतों में भी कमी आई है। इसकी कीमत 3.23 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (mmBtu) के मुकाबले 2.39 डॉलर प्रति mmBtu रह गई है। जबकि इसका प्रोडक्शन कॉस्ट 2.3 डॉलर प्रति mmBtu है। उन्होंने कहा कि Q1 में कंपनी का टर्नओवर 1874.48 करोड़ रुपये रह गया जो वित्त वर्ष 2019-20 में इसी अवधि के दौरान 3496.10 करोड़ रुपये था।